प्रतीक्षा / राकेश रेणु

यह ध्यान की सबसे ज़रूरी स्थिति है
पर उतनी ही उपेक्षित

निज के तिरोहन
और समर्पण के उत्कर्ष की स्थिति

कुछ भी इतना महत्त्वपूर्ण नहीं
जितनी प्रतीक्षा

प्रियतम के सम्वाद की, संस्पर्श की
मुस्कान की प्रतीक्षा ।

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