मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
प्रथम तोहर सुनिय सोहर, सुखक मास अखाढ़ यो
बारी वयस प्रीतम विदेश, हमर कोन अपराध यो
साओन हे सखि सर्व सोहाओन, फूलल बेली चमेलि यो
ताहि फुल देखि भमरा लुबधल, करय मधुर झंकार यो
भादव हे सखि रैनि भयाओन, दोसर राति अन्हार यो
लौका जे लौकै, बिजुरि चमकै, ककरा असरा हेबै ठाढ़ यो
आसिन हे सखि आस लागल, आसो नू पूरल हमार यो
आसो जे पुरितै, कुबरी सौतिनियां मोर कन्त राखल लोभाय यो
कातिक हे सखि पर्व लगै छै, सब सखि गंगा स्नान यो
सब सखि पहिरय पीअर पीताम्बर, हमरो दैव दुख देल यो
अगहन हे सखि सारिल लिबि गेल, लीबि गेल सब रंग सीस यो
ताहि सारिल देखि चिड़ै लुबुधल, सैह देखि हिय मोर साल यो