कर्तव्य था दोनों का
'केन और अबेल'
दोनों भाइयों का
जनसंख्या का गुणन
आदम और हव्वा के
दोनों संतानों का
कर्तव्य था
सामर्थ्य भी दोनों में था
अग्रज केन और अनुज आबेल
दोनों में कृषक केन
और चरवाहा अवेल
दोनों में
अपने-अपने उत्पाद का
एक खंड
अपने 'इलोही' अर्थात
ईश्वर को समर्पित करते थे दोनों
लेकिन, क्यों?
किसे मानते थे ईश्वर या इलोही?
उक्त्त तो यही है कि
समर्पण स्वीकार भी होता था
अबेल का समर्पण
अधिक स्वीकार्य था ईश्वर को
कौन था ईश्वर या इलोही?
मानव उत्पत्ति के पहले
कौन करता था समर्पण?
उत्पाद के समर्पण से
जीवन में क्या लाभ था?
केन ने सहोदर अबेल की
हत्या कर दी
अपने उत्पादों को
स्वीकार्य बनाने के लिए
यह मानव इतिहास की
प्रथम हत्या थी
यह मंशा स्वयं जागृत हुई
केन में या इलोही की प्रेरणा थी?
क्या ठीक है यह सब सोचना या पूछना?
मैं विराम देता हूँ
प्रश्नों को मारता हूँ
सब प्रश्नों को
केन तुम्हारी आत्मा स्वतन्त्र रहे
अपराध बोध से
मैं हूँ, तुम नहीं
प्रथम हत्यारा इन प्रश्नों का