प्रभु, वैतरणी पार करैय्योॅ।
नै तेॅ उठाय ई नद्दी लै जा, आपने घरे, बहैय्योॅ।
ई नद्दी मेँ गाय नै बाछी-खाली बोचोॅ घूरै,
नाँकी बाटेॅ निगली जाय छै मौंगरी-रेहू पूरै,
औघट घाट, यहाँ पर कोय नै आपनोॅ नाव लगैय्योॅ।
वैतरणी रोॅ बोचोॅ जाय सगरो नद्दी मेँ फरलै,
निगली नेलकै हेलवैय्या केॅ, हेलवैय्या सब मरलै,
गंगा, कोशी, चानन रोॅ पानी रोॅ लाज बचैय्योॅ।
जे बौराहां चाहै छै, तैरी केॅ पार करै लेॅ
जानोॅ भाग लिखैलेॅ ऐलोॅ छै ऊ यहाँ मरै लेँ
अमरेन्दर नै ओकरोॅ लेॅ कटियो टा लोर बहैय्योॅ।