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प्रलम्बित खड़े हैं / केदारनाथ अग्रवाल
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प्रलम्बित खड़े हैं
बियाबान मौन के पहरुये
दिगम्बरी रहस्य की चांदनी ओढे पेड़
(रचनाकाल : 14.10.65)