तुमने परखा छन्द
छुपा रहा भाव
तुमने बाँचे शब्द
दबा रहा विचार
तुमने निरखा रूप
रस रहा अनछुआ।
इतने कविता समयों के बाद भी
अधूरा रहा
हमारा संवाद
क्यों लिखूं मैं ?
जब मेरे रचाव पर ही
लगा दिया है तुमने
प्रश्न-चिह्न।
तुमने परखा छन्द
छुपा रहा भाव
तुमने बाँचे शब्द
दबा रहा विचार
तुमने निरखा रूप
रस रहा अनछुआ।
इतने कविता समयों के बाद भी
अधूरा रहा
हमारा संवाद
क्यों लिखूं मैं ?
जब मेरे रचाव पर ही
लगा दिया है तुमने
प्रश्न-चिह्न।