हम्में तोहरोॅ
बदललोॅ होलोॅ आँख
बदललोॅ भाव
आरो बदललोॅ होलोॅ
बेवहार सें
घबड़ाय केॅ
पत्थर पूजेॅ लागलोॅ छी
कैहनेकि, ई नै बदलै छै
की
प्रेम में टुटलोॅ
हमरे हेनोॅ
कोय आदमी नें
पहिले-पहिले पूजलेॅ छेलै
पत्थर केॅ
आरो देखा-देखी
सभ्भैं नें
पत्थर पूजना
शुरू करी देलकै ?