नावें और जहाज नदी नद
सागर-तल पर तरते हैं।
पर नभ पर इनसे भी सुंदर
जलधर-निकर विचरते हैं॥
इंद्र-धनुष जो स्वर्ग-सेतु-सा
वृक्षों के शिखरों पर है।
जो धरती से नभ तक रचता
अद्भुत मार्ग मनोहर है॥
मनमाने निर्मित नदियों के
पुल से वह अति सुंदर है।
निज कृति का अभिमान व्यर्थ ही
करता अविवेकी नर है।