ज़्यादा लाइट मारने की कोशिश मत करो! तुम
भूल गए हो
कि तुम सिर्फ़ प्राक्सी कर रहे हो। इस
ख़याल में मत रहो
कि यह रोल तुम्हें ही मिलेगा।
तुम और हीरो! आईने में चौख़टा तो देखो ज़रा। बात
सिर्फ़ इतनी है कि ’वह’ ग़ैर-हाज़िर है और
मज़बूरी में
तुमसे काम निकाला जा रहा है। यह
तुम्हारा उछल-उछल कर डायलाग बोलना,
एक्टिंग की बारीकियों की नुमाइश करना वग़ैरह सब
बेमानी साबित हो जाएगा। कि उसके आते ही
तुम
दर्शक बेंचों पर होंगे और वह
असली हीरो
सब कुछ अपने ही ढंग से करेगा। तुम्हारी
सारी काबिलियत
तुम तक ही सीमित रह जाएगी। शो का
कुछ भी बनेगा-बिगड़ेगा नहीं। इसीलिए तो
कह रहा हूँ कि अपनी औक़ात पहचानो। कि तुम
सिर्फ़ प्राक्सी कर रहे हो। सिर्फ़ प्राक्सी!
(रचनाकाल : 26.06.1974)