मेरी आँखें
एक बादल है इस क्षण
कोई समीरण का झोंका
मुझे धुन में बहा
तुम तक पहुँचाता है
कोयल वेणु-बंध स्वर
अस्थिर हो
बेधता है प्रभात को
और
मैं टूटकर बिखरता हूँ
ज्यों जाग्रत प्राण!
मेरी आँखें
एक बादल है इस क्षण
कोई समीरण का झोंका
मुझे धुन में बहा
तुम तक पहुँचाता है
कोयल वेणु-बंध स्वर
अस्थिर हो
बेधता है प्रभात को
और
मैं टूटकर बिखरता हूँ
ज्यों जाग्रत प्राण!