2.
अभी 19 से 23 का प्रशिक्षण था
जाणे कौणसी संस्था वाड़े आए थे
मैंने कहा गंगाराम यार मैं घूम आता हूं
मिसेज भी कई दिन से मारकेट-मारकेट रो रही थी
मैंनेका वो मारकेट हो आएगी और मैं प्रशि. में
एक दो घण्टा लेटसेट का तो देखो हर जगै चलताईअै
तो हम दोनों जणे साब चल दिए
हांलाकि रहजीडेंसिल था
पण अपण का सिद्धान्त है प्रशि. हो चाय स्कूल
साढे चार बजे से ज्यादा
किसी हालत में ठहरणे का सव्वाल ही नहीं
क्या ?
(क्या के साथ ही दीपक एमएलए की तरह बांयी आंख...)
तो पौंच गए साब प्रशि. में
अब वहां बैठणे को जगै ही नहीं
छोटे-छोटे से दो कमरे
अब देखो शिक्साधिकारियों की उल्टी बुद्धि
अरे मैं खैता हूं जहां बैठणे को जगैई नहीं
ऐसी स्कूल में प्रशि. रखवायाई क्यों ?
मैंने तो बोल दिया पैले जगै देख लो
कल होगा प्रशि.
बारै तो बजी गए
सो नाश्ता किया और फ्री मूड से घर
अगले दिन जगै देखी
प्रशि.शुरू हुआ
वहां भी देखो भगवान की लीला
वैसा ही लटियानाला कमरा
मैं तो खैता हूं इस गोरमेंट ने और इन एनजीओ वाड़ो ने
शिक्सकों को तो बेकूप बणा ही रक्खा है
भारतमाता को भी बेकूप बणा रक्खा है
तो साब प्रशि.शुरू हुआ
इधर ये हट्टे-कट्टे साठ सरकारी मास्टर
और उधर दो पतले-पतले छोरे
जो जाणैं नहीं एबसीडी
और आजायं शि.प्र्रशि. में
अब बो भी बेरोजगारी के मारे होते हैं भापड़े
और उनकी सुणता कौणअै
हम हमारे अधकारियों कीई नहीं सुणते
इधर तीन साल से एक जगै बणे हुए हैं
मजाअलै कोई हिला दे
सीदी शिक्सा मंत्री तक एप्रोचअै
और एप्रोच का तो आजकल देखो ऐसा है
किसी की एप्रोच नहीं है
एप्रोच है इसकी
किसकी ? पैसे की
क्या ?
(क्या के साथ ही दीपक एमएलए की तरह बांयी आंख...)
अब वो दो छोरे पढाणे लगे साब हमको
बोले ये बताओ आपने जीवन में
कौनसी-कौनसी किताबें पढी हैं ?
मास्टरों ने जो पढ़ा था बता दिया
गद्य-पद्य संग्रह
कोर्स रीडर रैपिट रीडर
हिन्दी के श्रेस्ट निबंध
मानस हिन्दी व्याकरण आदि इत्यादि
अब छोरे अपणी बताणे लगे
कोई हज्जारों किताबों के नाम ले डाले
और मटों ने, जैसे तो टीच दिया हो टीचरों को
अब ये प्रेसटीज का सवाल हो गया कि नहीं
तो मैंने कहा रे देखो
हम भी अैमे बीएड हैं
क्या ?
(क्या के साथ ही दीपक एमएलए की तरह बांयी...)
गोरमेंट ने कुछ सोच समजकर ही हमें पात्रता दी है
तुम लोगों को प्रशि. देना है तो दो नहीं देना मत दो
मास्टरों की इज्जतों के साथ छीना-झपटी क्यों करते हो ?
मेरे इतना बोलतेई तो मामला गरमा गया
मास्टरों ने ऐसी-ऐसी सुणाई उन छोरों को क पूछो मत
फिर मुझे ही दया आ गई क्या नाम से
अपण तो हिन्दू हैं न
हिन्दू में ये चीज जादा होती है
अब तो बिज्ञानिक रिसर्च और कई सर्बेंओं से भी
सिद्ध हो चुकी है ये बात कि हिन्दू में
ये चीज
जादा होतीअै
मैंने देखो पूरे मामले को कैसे टैं-किल किया
मुझे क्या है एक वो टोपिक याद था
और उनमें एक जो छोरा जादा बोलरा था
उसके मांउ झांककर मैंने कहा
देख बात ऐसी है
‘अबे सुण बे गुलाब
असिस्ट
अकड़ क्या दिखला रहा है कैपिटल-लिस्ट.’
अब उन छोरों को भी मामला सांत करणाई था
बोले साब बहुत अच्छी कबिता है
अब ये बताओ ये किसकी है ?
मैंनेका किसकी है उसके तो मैं घर नहीं गया हूं
उसकी मैंने खीर नहीं खाई है
बैसे कबिता लिखणे वाड़ों के घरों में खीर बणती होगी
मुझे इसमें बिस्वास कमीअै
क्या ?
(क्या के साथ ही दीपक एमएलए की तरह बांयी...)
पर जिन दिनों मैं आरएसके टेस्ट फाइट
करता था जब साब मैंने पढ़ी थी
ये तो किस्मतई खराब थी
और घरवाड़ों की थोड़ी पोजिसन डाउन थी
वरना आज किसी डिस्टिक के मालिक
होणे के लायक थे हम भी पर क्या करें
किसमत में तो ये डिपाटमेंट लिखा था
और देखो कवियों का तो ऐसाअै सुणो ध्यान से
गौर करणा जरा हमारी बात पे
कि किसी सायर ने कहा है
कि किसी सायर ने कहा है
जहां न पौंचे रवि वहां पौंचे कवि
पर ये रवि वो मिस्टर रविकांत तोसनीवाल नहीं है
जो शिक्सकों के पिछले प्रशि. में पधारे थे
इसमें सूर्य-चन्द्रमा वाड़े रवि की बात है
होल तालियों की गड़गड़ाट से गूंज उठा
मास-टर एकदम राजी हो गए
बोले अब लग रहा है कि प्रशि. चलराअै
प्रशि. तो देखो अपणे ही लोगों द्वारा होणा चईए
उनको क्याअै डिपाट की पूरी नोलेज होती है
सिक्सक क्या चाते हैं ये उनी को पता रहताअै
फिर तो शोरो-सायरी सुरू हो गई, उधर से कोई कहने लगा
नो नौलेज बिदाउट कोलेज
इधर से किसी ने कहा-
नो लाइफ बिदाउट बाइफ
अब इसमें बाइफ की जगै बाइक जादा सटीकअै
क्या ?
(क्या के साथ ही दीपक एमएलए की तरह...)
इतने में हमारे बीओ साब आ गए
बोले प्रशि. कैसा चलरा है ?
सबने कहा साब अच्छा चलराअै
दयाअै आंपकी
और ऐसे ही प्रशि. रखवाओ तो क्या है टीचरों का नोलेज बढ़ता है
और जो टीचर एसटीसी ही किए हुए हैं उनका ये समझो कोलेज बढ़ता है
क्योंकि यहां कुछ सीकेंगे तो म्हा कुछ सिका पाएंगे
और अगर न्ह्याई कुछ नहीं सीके तो इस सदन के बीचोंबीच पधारे
हमारे परम आदरणीय सर जी हम लोग म्हा क्या सिका पाएंगे
क्योंकि ???
क्योंकि इस देस के बच्चों का भविस्य शिक्सकों के हाथ में हैं
सिक्सकों की तरक्की होगी तो देस की तरक्की होगी
बैठो-बैठो खैके बीओ साब ने उसे तो बेटा दिया
फिर वे अपनी बात बताने लगे
बोले मैं देखो भौत सिद्धान्तवादी आदमी-इंसान हूं
और आज से नहीं मेरा शुरू से
अब क्या बताऊँ आपको कि
शुरू से भी शुरू से मेरा यही स्वतंत्र-सिद्धान्त रहा है कि
एक तो गद्दारी
गद्दारी नहीं करणी अपणे विभाग के साथ
क्यों ? क्योंकि हमारा विभाग हमें रोज-ही दे रहा है
रोजही से हमारे बाल-बच्चे पढ़ते लिखते आगे बढ़ते हैं
हम उन्हें अच्छे प्राईवेट स्कूलों में पढ़ा सकते हैं
किसी अच्छे ऐजुकेसनल सेन्टर में कोटा जैसी इन्स्टी-टूट में डाल सकते हैं
उससे क्या है हमारे बच्चों का भविस्य सुरक्षित होता है
तो पैली बात तो याद रखो-रोज-ही
दूसरी बात हमारे देस के दूसरे राष्ट्रपिता हुए हैं
श्रीमान् डा.स्वरपल्ली राधाकृष्णमनन
ये क्यों भूलते हो कि वो स्वयं अपने आप में
एक महान् से महान् शिक्सक भैभूति थे
तो इन राष्ट्रनिर्माण कार्य-कर्ताओं से हमें प्रेरणा लेनी चाईए
कुछ सीख तो अवश्यम्भावी रूप से ग्रहण करनी चाहिए
मैं तो कहता हूं जब आपका यह सुधि प्रशि.सम्पूर्णता की ओर अग्रसर हो
आप ये प्रण लेकर यहां से जायें कि
हम हमारे बच्चों को पढ़ाकर इस देस का
भाग्य तो क्या एक दिन तो तकदीर को भी बदलकर रख देंगे
होल तालियों की गड़गड़आट से गुंजायमान हो उठा
फिर चाय आ गई
लेकिन समोसे वाला नहीं आया
खैर माननीय सीआरसीएफ ने फोन लगाया
और वो भी सईसलामत आ गया
सीआरसीएफ की सख्त डू-टी बनती है कि
चाय हो चाये, नाश्ता उसके टाइम टेबल में
जरा भी गड़बड़ नहीं होनी चाहिए
वरना सीआरसीएफ होणे का मतलब ही क्या हुआ ?
क्या ? (क्या के साथ ही दीपक एमएलए की तरह...)
चाय के बाद बीओ साब ने फिर मिटिंग ली
ली क्या बल्कि दी, या ली कह लो एक ही बातअै
और साब की मीटिंग की ये खास बात आप
हमेशा देख लेणा कहीं भी कभी भी
कि जब वो बोलेंगे तो या तो
पेन-ड्रोप साइलेण्ट रहेगा या वो बोलेंगे
मजाअलै कोई दूसरी आवाज आ जाय
फिर बीओ साब ने पूछा
सबके अकाउण्ट में सैलरी पौंची कि नहीं ?
इसकी रिपोट चाहिए मुझको
सबने हाथ खड़े कर दिए क साब नहीं पौंची
बीओ साब चिल्ला धरे-नहीं पौंची ? कैसे नहीं पौंची ?
पौंच जानी चाहिए थी ? अब पौंच जाएगी
और कोई अन्यथा प्रोबलम ?
कईयों ने हाथ खड़े कर दिए
हमारे ये पैसा नहीं पौंचा
हमारे वो पैसा नहीं पौंचा
सरपंच से लेकर जइअन-अइअन
तैसीलदार सब हमपै अधकारी बणे रहते हैं
निर्माण के कामों में सबका तो दो परसेण्ट
पांच परसैण्ट बारा परसैण्ट फिक्स है
हमारे हाथ पल्लै क्या पड़ताअै
बताईए आप
फिर हमपै बाउण्ड्री बाल करातेई क्यों हो ?
हमें क्यों डिसट्रब करते हो ?
एकबार तो बीओ साब सकापका गए
बोले देखो-ऐसी बात इस सदन में करणा
सोभा नहीं देता
आंपई बताओ सोभा भैनजी सोभा देताअै क्या ?
सोभा भैनजी ने कहा-पता नही साब
आखिरकार बीओ साब ने सबको आ-स्वस्थ किया
कि सब हो जाएगा
लेकिन एक बात आप लोग कान खोलकर सुण लो
ऐ कानाराम कान क्या कुचर रहा है
तू भी कान खोल कर सुण
तेरे स्कूल से बार-बार सिकायत मिल रही है मुझे
तो मैं कह रहा था कि करो वो
जिससे देश का नाम रोशन हो
ठीक है तो मैंने आपको पूरे दो घण्टे का समय दिया
अब मुझे अगली मीटिग में जाणा है
मगर मैं ये तय नहीं कर पा रहा हूं
यहां खाणा है कि वहां खाणा है
कोई टीचर बोला-साब दोनों जगै ही खाणा है
चलो ठीक है वो बात मैं माननीय
सीआरसीएफ महोदय प्रभुदयाल जी से कर लूंगा
अरे अरे खड़े होने की जरूरत नहीं है
बैठो सब और अगर मुझे ये सिकायत
कहीं से मिल गई
मैं फोन कर करके पल-पल की रिपोट लेता रहूंगा
कि किसी भी सिक्सक ने समै का पालन नहीं किया
तो ये ठीक नहीं होगा
इस पर एक भैनजी गमक उठी
सर मेरे तो हजबैण्ड लेने आ गए सर
दूसरी बोली शाम को गांव के लिए बस नहीं मिलती सर
तीसरी बोली मेरे पांव में लगरीअै सर
अब चलूंगी तब शाम तक पौंचूगी घर
देखो ये बातें तुम अपने सीआरसीएफ महोदय से कर लीजिए
अगर विशेस ही कोई समस्या है तो बात अलग है
जैसे कि ममता भैनजी के पांव की चोट
लेकिन ड्यूटी इज बी मस्ट होणी चाहिए आपकी
कहते हुए बीओसाफ निकल गए
अभी आया कहते हुए एक-एक करके
सारे सिक्सक भी पीछे से निकल गए
क्या ? (क्या के साथ ही दीपक एमएलए...)
इस तरह प्रशि. का दूसरा दिन
हंसी-खुसी के साथ सम्पन्न हुआ
तीसरा और अंतिम दिन तो आप जाणौ
सब को टीएडीए लेकर जाणे की जल्दी रहती है
तो उसमें खास ध्यान देणे वाड़ी बात नहीं है
अब करें भी क्या
स्कूल एक
मास्टर दो
एक-एक स्कूल में कार्यरत
पन्द्रह-पन्द्रह एनजीओ
इन भीसम प्रस्थितियों में आप क्या कर लो ?
एनजीओ वाड़े
और ये हमारे अधकारी लोग
सिवाय लुफ्फाजी के करते क्या है ?
इधर देखो इधर
छाती ठोक के खैता हूं
फील्ड की हमारी हमीं जाणतें हैं
हम हमारी ऐसी-कम
तीन तैसी कराएं क्या ?
अयं क्या करें हम ?
क्या ?
क्या ? (क्या के साथ ही दीपक एमएलए...)