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प्रार्थना की सांझ / विवेक चतुर्वेदी

वो जो दिया बाती के साथ
तुलसी पर
बुदबुदाती थी मां
खुद के सिवा सबका दुख
खोती जा रही है
ऐसी निष्पाप
प्रार्थना की सांझ।