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प्रार्थना बना दो / लाखन सिंह भदौरिया

जो गीत है अगाया, वह गीत आज गा दो।
जिस दिव्यता में डूबा, सुधि की समीपता में,
उन पीर के पलों को तुम प्रार्थना बना दो।
जो गीत है अगाया, वह गीत आज गा दो।
आँसू का भोर कितना, होता सुहावना है,
वरदान माँगता हूँ, आँसू में मुस्कुरा दो।
जो गीत है अगाया, वह गीत आज गा दो।
विश्वास डगमगाया है आज साधना का,
तुम पास ही खड़े हो, हर साँस को दिखा दो।
जो गीत है अगाया, वह गीत आज गा दो।