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प्रियकर / महेन्द्र भटनागर

इस बहार में
गुलाब !
क्यों उदास ?
बार-बार ले रहे उसाँस।

है विकीर्ण
क्यों नहीं
विलास की सुवास ?

ओ गुलाब !
आज मत रहो उदास
इर क़दर उदास !

दो मिठास प्राण को
हुलास मन / उदार बन !

पुनीत प्यार से
सुधा विहार से
रहो प्रमोद-सिक्त

पास-पास !

पूर्ण जब विकास
मत रहो उदास !