रंग चढ़ गया है
अब नहीं छूटेगा
जिस रंग में रंगो रंग जाते हैं शब्द
रंगदार हो जाते हैं
देखो इनके ढंग
शरद में दहकते हैं
ग्रीष्म में महकते हैं सावन के अन्धे
वर्षा में सूखकर काँटा हो जाते हैं
श्याम रंगों में रंगी प्रिया किसी की नहीं सुनती
रंग चढ़ गया है
अब नहीं छूटेगा
जिस रंग में रंगो रंग जाते हैं शब्द
रंगदार हो जाते हैं
देखो इनके ढंग
शरद में दहकते हैं
ग्रीष्म में महकते हैं सावन के अन्धे
वर्षा में सूखकर काँटा हो जाते हैं
श्याम रंगों में रंगी प्रिया किसी की नहीं सुनती