डूबती साँझ में
साँवले मेघ में
झिलमिलाता दिखा
चाँद-सा हिल रहा
प्रिय पानी
चाँदनी रात में
फूस में, पात में
हंस बैठा रहा
ओस बन घास में
प्रिय पानी
कोहरा बन घना
हर दिशा में उगा
आज घर आ गया
तू हवा में उगा
प्रिय पानी
डूबती साँझ में
साँवले मेघ में
झिलमिलाता दिखा
चाँद-सा हिल रहा
प्रिय पानी
चाँदनी रात में
फूस में, पात में
हंस बैठा रहा
ओस बन घास में
प्रिय पानी
कोहरा बन घना
हर दिशा में उगा
आज घर आ गया
तू हवा में उगा
प्रिय पानी