जब प्यार प्रीति की बात चली
प्रिय याद तुम्हारी आयेगी॥
जब आँख मिचौली बादल के
टुकड़े चंदा संग खेलेंगे,
भीगी पलकों का अंबर की
चुंबन तड़िता मिस ले लेंगे।
अमराई में आतुर पंछी
पागल हो प्रिय को टेरेंगे,
मलयानिल के चंचल झोंके
सुमनों के कुल को घेरेंगे।
लज्जित हो कलिका नयन मूँद
भ्रमरों से आँख चुराएगी।
सच कह दूँ तुमसे साँझ ढले
तब याद तुम्हारी आयेगी॥
गतिमान समीरण के आघातों
से जब नैया डोलेगी,
सागर लहरों से लिपट-लिपट
गांठें अंतर की खोलेगी।
जब दूर क्षितिज में सांध्य परी
ओढेगी रजनी की चूनर,
सतरंगी सपने उभरेंगे
पलकों में अलकों को छूकर।
नभ मुक्ता माला टूटेगी
फूलों की गोद सजायेगी।
तब तुलसी चौरे दीप जले
प्रिय याद तुम्हारी आयेगी॥