Last modified on 18 जुलाई 2010, at 04:38

प्रीत-२ / ओम पुरोहित ‘कागद’

प्रतीक्षा करते-करते
सोए
आपकी
हम
उलझ गए
चौरासी के चक्र में ।

जागेंगे
करेंगे
बातें
रोएंगे
पिछली प्रीत हेतु
अगले जन्म
मिलेंगे
जब कभी
किसी रूप में !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"