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प्रीत-18 / विनोद स्वामी

म्हनै याद है
जदी तो म्हैं आज ई
आं सूं भोत हेत करूं !
तूं जांवती बरियां
कीं कोनी बोली,
बस राह सा’रलै आकड़ै रो
पाको अकडोडियो तोड़
फूंक मार दी
अर आंख्यां में चैसारा चाल्या।