Last modified on 18 अक्टूबर 2013, at 21:13

प्रीत-25 / विनोद स्वामी

सूकी जांटी पर लटकता
तोरूं रा तूंमड़ा
अर सूक’र उळजेड़ा
बेल रा नाळखा
बाज-बाज कैवै
प्रीत ओखी-प्रीत ओखी।