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प्रेमक्षुधा / विजय कुमार विद्रोही

प्रीत संग नवजीवन कलरव
कसमस सौरभ प्रेम विभव
झिम रिमझिम उन्मद कानन
आ प्राणपवन महकाती जा
आजा,आ,अब,आ भी जा

पल पल अविकल सरस भाव
ज्यों शीतज्वार से तर अलाव
उपवन चेतन कर नय भर दे
तू छनन छनन मदमाती जा
आजा,आ,अब,आ भी जा

मधुबेला कर दे मुक्तपाश
है शशिप्रभा उन्मन उदास
अब केश खोल आदेश थमा
ये मेघमाल सरकाती जा
आजा,आ,अब,आ भी जा

चिरवियोग पतझड़ जीवन
आयुताप शापित तन-मन
निज यौवनघट की मधुरधार
इस जीवन में बरसाती जा
आजा,आ,अब,आ भी जा