मैं रास्ते पर झरे सफ़ेद फूल उठाता हूँ,
बेंच पर बैठे बूढ़ों को झगड़ते सुनता हूँ,
गोरी उन्नत-उरोजाओं को झपटकर जाते देखता हूँ,
नए फूलों की चकाचौंध निहारता हूँ,
ट्राम और कारों की भर्राहट के पार कुछ सुनता हूँ,
चर्च की घण्टियाँ सुनकर अपनी घड़ी में समय
मिलाता हूँ :
मैं इस तरह उसके लिए
अपना प्रेमगीत लिखता हूँ।