रेशमी रुमाल में लपेटकर
जिस तरह
तुमने मुझे सौंपा था
पहला प्रेम-पत्र
आज भी लगता है मुझे
सपना सरीखा।
कभी-कभार
एक सपने में ही
गज़र जाती है
समूची जिंदगानी।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा
रेशमी रुमाल में लपेटकर
जिस तरह
तुमने मुझे सौंपा था
पहला प्रेम-पत्र
आज भी लगता है मुझे
सपना सरीखा।
कभी-कभार
एक सपने में ही
गज़र जाती है
समूची जिंदगानी।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा