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प्रेमपत्र / नरेश अग्रवाल

कभी-कभी अस्त हुए सूरज में भी
छुपी हुई होती है लोगों की खुशी
वह बीस साल पुराना प्रेम पत्र
अभी भी उसकी जेब में था
कभी-कभी निकाल कर जिसे वह पढ़ता था
कागज के चीथढ़े- चीथढ़े हो गए थे
लेकिन उसका प्यार वैसा का वैसा।
जानकर आश्चर्य हुआ मुझे
यह अकेला पत्र था
जो पूरी जिंदगी में लिखा गया था
सिर्फ एक बार।