प्रेमपत्र / प्रगति गुप्ता

प्रिय-तुम मुझे,
खुद की कलम से
एक प्रेम की पाती लिख भेजना...
मैं तेरे हाथों की लिखावट से,
बस छू पाऊँ तुमको
ऐसा कर मुझे पूर्ण करना...
किस शब्द को लिखते-लिखते
प्रेम उमड़ा,
कब कलम कुछ लिखने में बैचैन हुई
शब्दों को पढतेे महसूस करते-करते
प्रिय मैं तुझको पा जाऊँगी...
दूर तेरे होने पर भी
मैं तुझे जी जाऊँगी...

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