वो खड़ा रहा चट्टान की भाँति
स्वयं पर गर्वित
वो आलिंगन करती गुजरती रही नदी की भाँति
वो फिर भी खड़ा रहा चट्टान की भाँति
फिर यकायक
वो बालू नदी के साथ चल पड़ी
आलिंगन करती प्रेम करती...
वो खड़ा रहा चट्टान की भाँति
स्वयं पर गर्वित
वो आलिंगन करती गुजरती रही नदी की भाँति
वो फिर भी खड़ा रहा चट्टान की भाँति
फिर यकायक
वो बालू नदी के साथ चल पड़ी
आलिंगन करती प्रेम करती...