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प्रेमी पिता / चित्रा पंवार

लड़कियों ने पिता को ही चाहा
उन्होंने पहला प्रेम अपने पिता से किया
किसी पुरुष को प्रेम करती स्त्री
परोक्ष रूप से अपने पिता को ही प्रेम करती
पिता उनके प्रेमी थे
और प्रेमी वही पुरुष बने
जो पिता जैसे लगे
जिनके पिता ने मारे उनके प्रेमी
दरअसल वह उनकी आत्महत्या थी
जो उखाड़ कर फेंक रहे थे उनके जीवन से प्रेम
वह उनके दिल से
आंधी में गिरे दरख़्त से उखड़ गए
जिन पिताओं ने भुला दी अपने पिता होने की गरिमा
उनकी बेटियों ने नहीं चाहा किसी पुरुष को
क्योंकि वह नहीं कर सकीं
कभी अपने पिताओं से प्रेम