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प्रेम-1 / राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

फंफेड़ नाखै
काळजै मांयली
अेक तूफानी लैर
जकी मैसूस करै
जगती सूं निरवाळा
फगत दो जीव।

नैतिक नेम-कायदा
समाजू असूल
जात-धरम री लाल-हरी धजावां
ऊंच-नीच रा रोळा
मिंदर-मैजत री धोक
सगळा कर देवै तैस-नैस
भांत-भंतीला रंग
हुय जावै अेकठ
वठै रच जावै मांय-मांय
सातूं रंग भेळौ
फगत अेक प्रेम-रंग।

पण हुय जावै जद
ओ रंग जग-चौड़ै
खिंड जावै पूठा विडरूप रंग
जात-धरम रा
ऊंच-नीच रा
गरीबी-अमीरी रा
घिनावरा उकळता रंग
छेकड़ बचै अेक ई रंग
अणथाग लोही रौ
जकौ नीसरै तरवार री धार सूं
बच जावै अखूट प्रेम-कहाणी।