Last modified on 26 दिसम्बर 2009, at 14:28

प्रेम-2 / रविकान्त

तुम मुझे माफ़ नहीं करतीं

पर सारे अपमान पी कर भी
मैं तुम्हें मना लेता हूँ।

हालाँकि तुम कहती हो कि
इसका उल्टा ही सच है।

मैं बाँहें फैलाकर
ज़रा-सा मुस्करा देता हूँ।