प्रेम
एक खरगोश है
हरी दूब की भूख लिए
वन-वन भटकता
कुलाँचे भरता
डरा.. सहमा
छुपा रहता है
मन की सघन कन्दराओं में,
उसकी नर्म मुलायम त्वचा की
व्यापारी
यह दुनिया
नहीं जानती
उसके प्राणों का मोल...!
प्रेम
एक खरगोश है
हरी दूब की भूख लिए
वन-वन भटकता
कुलाँचे भरता
डरा.. सहमा
छुपा रहता है
मन की सघन कन्दराओं में,
उसकी नर्म मुलायम त्वचा की
व्यापारी
यह दुनिया
नहीं जानती
उसके प्राणों का मोल...!