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प्रेम / रश्मि रमानी

प्रेम एक सुनहरे सपने की तरह
उतर आया मेरी बन्द आँखों की झील में

प्रेम
बन्द दरवाज़ों की दरार से आती धूप की तरह
चमका उदास मटमैली दीवार पर

प्रेम
मेरी ज़िन्दगी में अचानक आया
सुबकियो के दौरान गिरे उस आँसू की तरह
जिसे सहेजा गया
अधखुले होंठों की सीपी में
मोती की मानिन्द।