मिलेंगे हम दोनों फिर से
समुद्र में
तू पानी की तरह
मैं कमल के फूल की तरह
तू मुझे ले जाएगा
करूँगी मैं तेरा रसपान
एक ही हैं हम
सबकी आँखों के सामने I
यहाँ तक कि तारे भी
हैं आश्चर्यचकित
बदल लिए हैं यहाँ
रूप दोनों ने
सपनों में तेरे
जो तूने चुने हैं II
मूल जर्मन भाषा से प्रतिभा उपाध्याय द्वारा अनूदित