ले मुट्ठी प्रेम इंजोर बटोहिया चल आगे।
ईश्वर एक-एक ऊ अल्ला एक्के, राम रहीमा
बैर न तनिको ई धरती पर संग सीता फातीमा
एक हाथ में गीता शोभै, एक हाथ कुरआन
बटोहिया चल आगे।
एक नमाज एक हरि-किर्त्तन धरम नाव पर दोनों
दोनों पल छिन अलख जगावै छोट न तनियों कोनो
कंचन मन में शान्ति बिराजै करे सुधारस पान
बटोहिया चल आगे।
सत के नाव डगामग डौलै, पर मंझधार नै डूबै
मारग कठिन न डिगै फकीरा बीच राह नै ऊबै
‘सत्यमेव जयते’ जयवाणी धरा गगन के प्राण
बटोहिया चल आगे।
भाव बिना भेल परती धरती, प्रेम के ऐंगना सुन्ना
मंदिर-मस्जिद बनल अखारा दरद भेल अब दुन्ना
शान्ति कबुतरा चिहुकै कानै बधिर भेल भगवान
बटोहिया चल आगे।
मन स्थिर तन पावन चितवन ठोस धरम अपनावै
आतम ज्ञान बिना नर अटकै शान्ति सुधा नै पावै
सत्य दीप सें करै बटोही द्वीप्त धरा असमान
बटोहिया चल आगे।