Last modified on 16 नवम्बर 2022, at 08:52

प्रेम और नमक / सांत्वना श्रीकांत

प्रेम और नमक
रूपक हैं
दोनो का उपयोग किया गया
 ज़रूरत के हिसाब से
‘स्वादानुसार’
तेज नमक से छाले हुए
और कम नमक बेस्वाद लगा
जब रिस्ते में फफूँद लगने की
आशंका हुई तो
नमक बढ़ा दिया गया।
तृप्ति की अनुभूति पर
खारापन बहुत बढ़ गया है
मान कर
अवहेलित कर दिया गया..