प्रेम करते हुए सिर्फ़ एक को प्रेम तो नहीं करते हम
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उन साधारण जगहों को,
जो बार-बार हमारे मिलन की गवाह बनती हैं ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उन परिचितों को,
जिनका व्यवहार प्रेम के मामले में बजरंगदलियों जैसा रहा है ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उन ऑटो - रिक्शेवालों से भी,
जिन्होंने यह जानते हुए कि हम प्रेम में हैं, हमें बैठने की जगह दी ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उन ठेलेवालों से भी,
जिन्होंने ट्राँसफ़ेट रिफ़ाइण्ड में तले ही सही,
पेट भरने के लिए हमें स्वादिष्ट पकौड़े खिलाए और कुछ देर हमारे साथ भारतीय राजनीति पर चर्चा भी की ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उन होटल-रेस्तराँ वालों से भी,
जिन्होंने पैसों से ही सही हमें एक दूसरे को छूने का एकान्त दिया ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं, उन झोलाछाप तकनीकी विशेषज्ञों से भी,
जिन्होंने फ़्री में न सिर्फ़ मोबाइल ठीक किया, साथ में हमारे दो-चार फ़ोटो भी खींच दिए ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उन मासूम जोड़ों से भी,
स्कूल की छत पर, जो किस करते हुए पकड़े गए और प्रिंसीपल रूम से लेकर ड्राइंगरूम तक जो फाँसी के फंदे तक बार-बार पहुँचाए गए ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उन मनुष्यों से, जो लगातार हिंसा, अपमान झेलने के बाद भी सम्वाद की कोशिश करते रहे ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उन लोकगीतों से,
जिन्हें सुनकर पहले हमें कई बार चुटकुलेबाज़ी आती रही है।
प्रेम करते हुए, हम प्रेम करने लगते हैं उस भोजन से, जिसको हमने अभिमान में आकर पहले कभी नहीं चख़ा ।
प्रेम करते हुए, हम प्रेम करने लगते हैं, उन किताबों से,
जिनको पढ़ने के बारे हमने कभी नहीं सोचा ।
प्रेम करते हुए , प्रेम करने लगते हैं हम अपने सपनों से,
जिनको देखने से हम नींद में भी डरते थे ।
प्रेम करते हुए, प्रेम करने लगते हैं हम उस आनन्द से, जो मेहनत करके ही आता है ।
सिर्फ़ एक को प्रेम कहाँ करते हैं हम
एक को प्रेम करना दरअसल पूरी दुनिया को प्रेम करना है ।