ये सच है
तमाम कोशिशों के बावजूद
कि मैंने नहीं लिखी है
एक भी प्रेम कविता
बस लिखा है
राशन के बिल के साथ
साथ बिताये
लम्हों का हिसाब,
लिखी हैं डायरी में
दवाइयों के साथ,
तमाम असहमतियों की
भी एक्सपायरी डेट
लिखे हैं कुछ मासूम झूठ
और कुछ सहमे हुए सच
एकाध बेईमानी
और बहुत सारे समझौते,
कब से कोशिश मैं हूँ
कि आंख बंद होते ही
सामने आये तुम्हारे चेहरे
से ध्यान हटा
लिख पाऊँ
मैं भी
एक अदद प्रेम कविता...