किसी शेर की तरह
दहाड़ता नहीं प्रेम।
वह पुकारता है
मोर की तरह,
करता है मनुहार....
वह पुकार ही सकता है
जैसे मैं पुकार रहा हूं तुम्हें।
नजरें चुराना
अपना चेहरा छिपाना
प्रेम का नाम आते ही
छुई-मुई-सी लजा जाना....
पढ़ लिया है तुमने
प्रेम का पहला पाठ।