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प्रेम का संकेत / सुभाष काक

मेरा तुम्हारे लिए अनुराग
एक वस्तु की इच्छा नहीं
एक छाया को देखने की अभिलाषा है
जो शरीर और आत्मा
के बीच है।

रहस्य का उद्‌घाटन है यह
क्योंकि इसके अंत में
न मैं मैं हूँ
न तुम तुम हो।

जहाँ पहुँचकर यदि तुम द्वार
खटकाओ
मैं न सुन पाऊँगा।