यकबयक
खिले फूल
मुरझाने लगे
पत्तियाँ
शाखाओं से टूटकर
बिखरने लगी
खुशियों के
लगते थे जहाँ
मेले उदासियों ने
डाल लिए
डेरे
डस लिया था
जिसने प्रेम को
वो
नाग था
जाति का।
यकबयक
खिले फूल
मुरझाने लगे
पत्तियाँ
शाखाओं से टूटकर
बिखरने लगी
खुशियों के
लगते थे जहाँ
मेले उदासियों ने
डाल लिए
डेरे
डस लिया था
जिसने प्रेम को
वो
नाग था
जाति का।