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प्रेम की सुगन्ध / चन्द्र गुरुङ

एक दिन
पंख निकाल कर उड़ जायेंगे दुःख
भर जायेंगे धाव के गहरे सागर
सूख जायेगी आँसुओं की लम्बी नदी
जीवन की अन्धेरी गुफाओं में
गायब हो जायेगी दुःख-दर्द की आदिम चिल्लाहट

सालों साल तक महकेंगे
केवल दिलों में प्रेम।