Last modified on 12 फ़रवरी 2013, at 00:12

प्रेम की स्मृतियाँ-1 / येहूदा आमिखाई

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: येहूदा आमिखाई  » संग्रह: धरती जानती है
»  प्रेम की स्मृतियाँ-1


छवि


हम कल्पना नहीं कर सकते
कि कैसे हम जिएँगे एक दूसरे के बिना
ऐसा हमने कहा

और तब से हम रहते हैं इसी एक छवि के भीतर
दिन-ब-दिन
एक दूसरे से दूर, उस मकान से दूर
जहाँ हमने वो शब्द कहे

अब जैसे बेहोशी की दवा के असर में होता है
दरवाज़ों का बंद होना और खिड़कियों का खुलना
कोई दर्द नहीं

वह तो आता है बाद में......

अँग्रेज़ी से अनुवाद : शिरीष कुमार मौर्य