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प्रेम के लिए / सीमा 'असीम' सक्सेना

उपमायें, उपमानों को
बदल कर
नये प्रतिमान गड़ने है
और एक वादा भी करना होगा
अपने प्रेम से
प्रेम के लिए
भरना होगा उतना ही
वात्सल्य , स्नेह ,
प्रेम से आपूर्ण
छलकता ह्रदय
स्वार्थ से परे
एक निस्वार्थ मन
मैले कुचैले
शब्दों और अर्थो को
पोंछकर हाथों से
साफ़ कर देना है
खिला लेना है एक फूल
सारे रंग, खुशबू भर के
अपनी प्रेम की बगियाँ में
दबी हुई भोली इच्छायें
मन की परतों में
सुलझी अनसुलझी बातें
कुछ सकूं के पल
नेह से भरे
स्वर्णिम छण
गुज़ारने हैं
और अंकित कर लेना है
ललाट पर
सुहाग चिन्ह बनाकर
बिंदी, सिन्दूर की तरह
सजाकर!!!