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प्रेम तुम्हारा / रश्मि विभा त्रिपाठी

8
माँगे सदैव
मनोकामना क्या- क्या
प्रिय- प्रेमिल- प्रज्ञा
अनुमोदित
अर्जी विशेषतया
हैं सहाय माँ आद्या।
9
प्रिय तुम्हीं से
रूप- रस औ गंध
जीवन- गीत- छंद
तोड़करके
दुख का तटबंध
मन गाता स्वच्छंद।
10
धरे देहरी
दुआ- दीप हजार
दीप्तिमान अपार
प्रियवर का
पुनीत यह प्यार
प्रकाश का त्योहार।
11
प्रिय ने जड़े
आँचल में आ तारे
औ सुख-नग सारे
ओढ़े ओढ़नी
आ बैठी मन- द्वारे
ओझल अँधियारे।
12
गाते हैं गीत
अति मधुरतम
आशा के विहंगम
प्रिय सजाएँ
स्नेह की सरगम
संगीत निरुपम।
13
प्रिये तुम्हारा
प्रार्थना का प्रबंध
देता दिव्य आनंद
मैं मुकुलित
मिटा सकल द्वंद्व
फैली सुख- सुगंध।
14
 लिख दिए हैं
तुमने मेरे नाम
सारे सुख- आराम
प्रेम तुम्हारा
परमानंद धाम
प्रिय! तुम्हें प्रणाम।
15
प्रिय तुम्हारी
निश्चल-नेह छाया
मैंने जीवन पाया
आकुलता में
आके कण्ठ लगाया
सोया सुख जगाया।