धान की बालियों के साथ
झूमता है,
वन पर्वत
समुद्र तट पर घूमता है,
सुध बुध खो कर
पतंग सा
आकाश में उड़ता है
हंस जैसे तालाब में
तैरता है मन।
धान की बालियों के साथ
झूमता है,
वन पर्वत
समुद्र तट पर घूमता है,
सुध बुध खो कर
पतंग सा
आकाश में उड़ता है
हंस जैसे तालाब में
तैरता है मन।