बाती तो उसी रात जल गई थी
दीया ज़रूर कुछ रातों तक और चला
यह बात उन दोनों के बारे में भी
है
जो परस्पर प्रेम में थे।
अब कहीं नहीं हैं।
अब तो बस
भावना शून्य बल्ब दमक रहे हैं
उसी जगह
बाती तो उसी रात जल गई थी
दीया ज़रूर कुछ रातों तक और चला
यह बात उन दोनों के बारे में भी
है
जो परस्पर प्रेम में थे।
अब कहीं नहीं हैं।
अब तो बस
भावना शून्य बल्ब दमक रहे हैं
उसी जगह