प्रेम करना किसी लड़की के लिए
ऐसा ही है
जैसे हथेली पर गुलाब उगाना
हथेली बन्द कर
काँटों की मीठी चुभन
सहन की जा सकती है
पर ख़ुशबू
उसकी तो हवाओं के संग पक्की यारी है
और ख़ुशबू फैलते ही
फूलों के शौक़ीनों की भीड़ लगते
देर नहीं लगती
कई विकल्प तत्पर रहते हैं
धार्मिक-उत्सवों, मंगल-कार्यों में
स्वागत-समारोहों पर घर सजाने की रस्मो-रिवाज़ों में
सुर्ख़ फूलों की रंगत बिखरती चली जाती है
और हथेली हो जाती है लहूलुहान
इस पूरी प्रकिया में
लड़की के कुशल अभिनय पर
किसी का ध्यान ही नहीं जाता
जो सारा रक्त ख़ुद में ही
सोख लेती है
बिना कहीं टपकाए ।