राखी चावो एकता
ठड्डे रै पाण,
कुमळा ज्यासी देस ओ
कंवळै पुसब समान,
आ तो हिव री भावना
जकी राखसी जोड़,
बंध्या प्रेम री डोर में
रैसी पैंसठ कोड़,
निज भासा निज भेस स्यूं
किण नै नहीं लगाव ?
पण अनैक में एक नै
देखो छोड दुराव,
गांधीजी हिन्दु रया
बस्या राम नै प्राण,
छोडी नहीं कुरान नै
कदै बादस्या खान,
धरम करम बाधा नहीं
मरम धरम रो जाण,
तत नै लेवै समझ बो
मिनख आप भगवान !