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प्रेम 2 / नवीन निकुंज

मनोॅ के ऐना में
बसलोॅ तोरोॅ रूप
जब्हैं झिलमिलावै छै
हम्हूँ झिलमिलावेॅ लागै छी
आरो हमरोॅ छवि
तोहरै छवि होय केॅ
रही जाय छै।