उदय प्रसाद उदय के निधन पर :: शोकांजली
संसृति के संस्कृत नियम उदय,अस्त,युग तथ्य
उदय अस्त जनु एक है,गहन दार्शनिक सत्य
उदय हुए थे ओ नक्षत्र क्या,आज डूबने ही को
आये ही क्या धराधाम में,मचल रूठने ही को
तुम साहित्य गगन पर चमके,अस्त हुए कुछ देकर
स्वर्ग-लोक में उदय रहोगे, अमर- कीर्ती को लेकर