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फरक (01) / कन्हैया लाल सेठिया

चाहीजै
बणाणै सारू
कीमिया रसायण
अरणां छाणां री आंच
कोनी हुवै
थाप्योड़ी थेप्डयां में
बां जिसी उरजा
चाहिजै
रचणै तांई
अणमोल रचणा
मीरा री पीड़
कोनी हुवै
वासणावां में
बीं जिसी खिमता !